नवजीवन
हां,
यहां डर है, अशांति है, लोग सहमे हुए हैं .
यहां
लोग बीमार महसूस कर रहे हैं
हां,
यहां लोग आइसोलेशन पर हैं और अफवाहों का बाजार गर्म है
और
अब तो मौत भी !
शायद
मानव ने अपनी बर्बादी का मंजर खुद गढ़ा है.
जीवन
बदल रहा है
क्या
सच में जीवन बदल रहा है ?
आकाश
में अजीब उदासीपन है मटमैला सा... !
बहुत
वर्षों के बाद आज कर्कष शोर नहीं है. शांति है!
भागदौड़
वाली सड़कें मरघट सी सुनसान हो गई है
कोई
सुन नही रहा मुझे! पर कोई सुनेगा भी नही!
क्यों?
क्योकि
सभ्यता का ये शहर खौफ के आगोश में है.
क्योंकि
यह शहर लॉकडाउन है.
पूरी
दुनिया अपने पड़ोसियों को नई नजर से देख रही है
पूरी
दुनिया नई सच्चाई से रूबरू हो रही है
हां
यहां डर है, अशांति है, मौत है और मातम भी!
लेकिन
नफरत नहीं है!
हां,
लोग आइसोलेशन पर जरूर है पर अकेलापन नहीं है!
अफवाहें
जरूर है पर संकीर्णता नहीं है!
शरीर
बीमार है पर आत्मा नहीं !
कुछ
मृत्यु भी, पर प्यार का पुनर्जन्म भी!
जरूरी
क्या है? जरूरी है प्यार!
उठो,
जागो और अब कैसे जीवन जीना है यह तय करो!
उच्छ्वास
भरो !
सुनो!
फिर से कल कारखाने के शोर के बीच चिड़ियों की चहचहाहटे सुनाई देंगी.
आकाश
साफ होगा और बसंत फिर आएगा.
प्यार
से मिलेंगे सब!
अपने
आत्मा की खिड़कियां खोलो!
खाली
और सुनसान सड़कों के बीच गुनगुनाओ...
मस्ती
भरे तराने गाओ...
जीना
इसी का नाम है.
राहुल
पटेल
srirahulpatel@gmail.com
15 comments:
Very nice
जय हिन्द। वाह वाह, बहुत बढ़िया।कलम की गति बनी रहे। शुभकामनाएं।ज्ञानदेव
समसामयिक कविता नवजीवन डर के आगे जीत है,उम्मीद का एक किरण हे ।बहुत अच्छा लगा ।अशेष शुभकामना ।
समसामयिक कविता नवजीवन डर के आगे जीत है,उम्मीद का एक किरण हे ।बहुत अच्छा लगा ।अशेष शुभकामना ।
अतिसुन्दर सर जी
उम्मीदें लहलहा रहीं...बसंत फिर...फिर आएगा ।
सचमुच।
अद्भूत बा भईया 👌👌👌
बहुत ख़ूब....👌👌👌👌👍👍
Korona se darona
बहुत ही सुंदर रचना
वाह, बहुत सुंदर, सामयिक रचना। बधाई💐💐 तथा शुभकामनाएं! कलम चलती रहे...
वाह, बहुत सुंदर, सामयिक रचना। बधाई💐💐 तथा शुभकामनाएं! कलम चलती रहे...आभा
वाह, बहुत सुंदर, सामयिक रचना। बधाई💐💐 तथा शुभकामनाएं! कलम चलती रहे...आभा
शब्दों का बेजोड़ संगम 💐💐
बहुत खूब....
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