Wednesday, October 30, 2019

डाइलिसिस पर बिहार के डायट संस्थान



जिला स्तर पर प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) एक नोडल संस्थान हैं। ये प्रारम्भिक शिक्षा के शिक्षकों के लिए सेवापूर्व और सेवारत प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्पादित करने के लिए अधिकृत हैं। डायट का सभी स्तर पर सुदृढीकरण किया जाना आवश्यक है यथा संगठनात्मक संरचना, भौतिक संसाधन, आधारभूत संरचना, अकादमिक कार्यक्रम, मानव संसाधन और वित्तीय संसाधन आदि। डायट की जिम्मेदारी आरटीई अधिनियम के आने के बाद कई गुना बढ़ जाती है। डाइट का कार्य न केवल शिक्षकों को प्रशिक्षण अपितु स्कूल में गुणवत्ता सुनिश्चित करना, शिक्षकों का व्यावसायिक उन्नयन, जिले में प्रारम्भिक शिक्षा में समन्वय, अकादमिक मूल्यांकन एवं प्रबोधन, ​​अनुसंधान और क्रियात्मक अनुसंधान, कंप्यूटर अनुप्रयोग, शैक्षिक नवाचार एवं जिला स्तर पर अकादमिक योजना निर्माण में भी महती भूमिका निभाते है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के तहत बिहार के सभी जिलों में डाइट की स्थापना की गई है ताकि सेवापूर्व एवं सेवाकालीन प्रशिक्षण से शिक्षा की गुणवत्ता को बढाया जा सकें।

 प्राथमिक शिक्षकों के लिए सेवा पूर्व और प्राथमिक स्कूल के शिक्षक के लिए सेवाकालीन प्रशिक्षण आयोजित करने हेतु डाइट जिला स्तर पर नोडल संस्था के रूप में कार्य करेंगे।
·     यदि जिला स्तर पर कोई सीटीई नहीं है या मौजूदा सीटीई अपर्याप्त क्षमता की वजह से प्रशिक्षण की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम नहीं है, वहां आरएमएसए के तहत माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों का शिक्षक प्रशिक्षण के लिए भी डाइट जिम्मेदार होंगे।
डायट की भूमिका
·     डाइट का भी व्यवस्थित ढांचा होगा और डाइट अध्यापकों, संस्था प्रधानों, वरिष्ठ अध्यापकों और स्कूल प्रबंधन समितियों के लिए व्यावसायिक अभिवृद्धि और नेतृत्व कौशल का विकास आदि पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगी।
·     जिला स्तर पर बाइट्स, बीआरसी, सीआरसी के साथ समन्वय करते हुए शैक्षिक-स्रोत केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
·     जिला स्तर पर विशेष समूहों के लिए सामग्री निर्माण, क्रियात्मक अनुसंधान सम्बन्धी कार्यक्रम को सम्पादित करेगा।
·     जिला स्तर पर अकादमिक योजना का निर्माण एवं विद्यालयों में शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाना सुनिश्चित करेगा।
·     जिलों में विशेष समूहों के लिए एवं विद्यालयों के सुदृढ़ीकरण तथा अकादमिक सहयोग के लिए व्यवस्थित योजना तैयार करना।

·     डाइट की आवश्यकता के आधार पर जिला संदर्भ केन्द्रों (डीआरसी) को उन्नत किया जा सकेगा।